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दिल्ली के लाल किले पर होगा 3 दिवसीय विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन : मुख्यमंत्री डॉ.यादव

पंकज मलिक 05 April, 2025 राज्य

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अतीत के गौरवशाली इतिहास को जन सामान्य के सामने लाने के लिये 2 हजार वर्ष पहले सम्राट विक्रमादित्य द्वारा सुशासन के सिद्धांतों पर स्थापित शासन संचालन व्यवस्था और उनकी कीर्ति पर केन्द्रित महानाट्य की प्रस्तुति दिल्ली के लाल किले पर 12-13-14 अप्रैल को होने जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का ध्येय वाक्य 'विरासत से विकास की ओर' हमारे लिए एक पाथेय की तरह सिद्ध हो रहा है। हम विकास कार्यों में विरासत को महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार सुशासन को ध्यान में रखते हुए विकास और जनकल्याण की सभी गतिविधियां संचालित कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को नई दिल्ली में विक्रमोत्सव अंतर्गत सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के संबंध में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के विराट व्यक्तित्व को सबके सामने लाने के लिए महानाट्य की कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि जब इसका मंचन दिल्ली में 12, 13 और 14 अप्रैल को लाल किले पर होगा तो इसमें हाथी, घोड़ों, पालकी के साथ 250 से ज्यादा कलाकार अभिनय करते नजर आएंगे। महानाट्य में शामिल कलाकार निजी जीवन में अलग-अलग क्षेत्र के प्रोफेशनल्स हैं। महानाट्य में वीर रस समेत सभी रस देखने को मिलेंगे। महानाट्य का मंचन गौरवशाली इतिहास को विश्व के सामने लाने का मध्यप्रदेश सरकार का एक अभिनव प्रयास है। इस कालजयी रचना को सबके सामने रखने में दिल्ली सरकार का भी सहयोग मिल रहा है। इससे पहले हैदराबाद में भी विक्रमादित्य महानाट्य की प्रस्तुति हो चुकी है। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासन काल, सुशासन व्यवस्था का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। वे एकमात्र ऐसे शासक थे, जिनके जीवन के विविध प्रसंगों से आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य और नवाचार आज भी प्रासंगिक हैं। वर्तमान में हिजरी और विक्रम संवत प्रचलन में हैं। इसमें विक्रम संवत उदार परंपरा को लेकर चलने वाला संवत है, अर्थात संवत चलाने वाले के लिए शर्त है कि जिसके पास पूरी प्रजा का कर्ज चुकाने का सामर्थ्य हो, वही संवत प्रारंभ कर सकता है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने सुशासन, व्यापार-व्यवसाय को प्रोत्साहन और दूरदृष्टि से यह संभव किया विक्रमादित्य ने विदेशी शक आक्रांताओं को पराजित कर विक्रम सम्वत् का प्रारंभ 57 ईस्वी पूर्व में किया था। विक्रम संवत के 60 अलग-अलग प्रकार के नाम हैं। संवत 2082 को धार्मिक अनुष्ठानों के संकल्प में "सिद्धार्थ" नाम दिया गया है। ये 60 नाम चक्रीकरण में बदलते रहते है। विक्रमादित्य का न्‍याय देश और दुनिया में प्रचारित हुआ। यह सम्वत् भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार वाला कालगणना सम्वत् बन गया, जो आज भी प्रचलित है।

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