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संस्कृति को जीवंत रखे है कृति : नीमच में दो दिवसीय नाट्य उत्सव का समापन

The Watchman Post Desk 31 March, 2025

नीमच। नामचीन भारतीय खगोलविद आचार्य आर्यभट्ट के जीवन पर आधारित मनोहारी नाट्य प्रस्तुति 'अन्वेषक' के मंचन के साथ ही नीमच की ख्यात संस्था कृति का प्रतिष्ठित आयोजन कृति-उत्सव सम्पन्न हो गया। इस बार कृति उत्सव में अपनी रंगमंचीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया दास्तान थिएटर ग्रुप ग्वालियर के कलाकारों ने।

कृति उत्सव के पहले दिन ख्यात व्यंगकार हरिशंकर परसाई के व्यंग पर आधारित नाटक '10 दिन का अनशन' शीर्षक लिए हास्य नाटक के माध्यम से दर्शक परसाईजी के पैने व्यंग्य से परिचित हुए ।  नाटक की कथावस्तु यह थी कि समाज मे शातिर लोग भोले भाले व्यक्तियो को भ्रमित करके कैसे अपना उल्लू सीधा करते हैं। नाटक के नायक मान्या की भिखारिन मां उसका विवाह एक असुंदर कन्या से कराना चाहती है, जबकि मान्या एक शादीशुदा महिला सावित्री को पसंद करता है। उसकी इसी कमजोरी का फायदा उसके शातिर दोस्त और एक ढोंगी बाबा उठाते हैं और उसे अनशन पर बैठने के लिए उकसाते है। उधर सावित्री इस सबका विरोध करती है और अपने पति की मदद चाहती है। लेकिन कथावाचक पति उसकी मदद से पीछे हट जाता है। अनशन चलता रहता है लेकिन कोई हाल नहीं मिलता। माँ मान्या को अनशन खत्म करने पर राजी कर लेती है। लेकिन शातिर दोस्त ऐसा होने नही देते। आखिर मान्या मर जाता है । तब दोस्त और बाबा उसे सन्त बताकर उसकी समाधि पर भंडारे का कारोबार शुरू कर देते हैं।

नाटक में निदेशक अयाज खान और साथियों का अभिनय लाजवाब रहा। यह अलग बात है कि दर्शको का तादात्म्य नाटक के कथानक से नही हो पाया। फिर भी साहित्यिक अभिरुची सम्पन्न दर्शकों पर परसाई जी के व्यंग्य का जादू खूब चला। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथी नीमच के विधायक दिलीपसिंह परिहार थे । 

कृति उत्सव का दूसरा दिन पूरी तरह से नाटक के कलाकारों के दमदार अभिनय, सुंदर संवाद अदायगी और मनमोहक भारतीय वेशभूषा के नाम रहा । आर्यभट्ट के जीवन पर आधारित नाटक अन्वेषक की नयनाभिराम प्रस्तुति ने अंत तक दर्शकों को बांधे रखा । आर्यभट्ट के खगोलीय अनुसंधान ने किस तरह तत्कालीन भारतीय समाज और विद्वजनों में खलबली मचा दी,इसका सुंदर चित्रण कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से किया। स्वार्थी और अल्पज्ञानी विद्वान किस तरह नए विचार और खोज को झुठलाते है इसका प्रस्तुतिकरण था यह नाटक। इसके लिए वे आर्यभट्ट और उसके प्रिय मित्र सम्राट बुधगुप्त और प्रेयसी केतकी के संबंधों पर अनर्गल प्रलाप करने से बाज नही आते। अंत मे आर्यभट्ट अपनी पुस्तक 'आर्यभटीय' सम्राट को सौंपकर चल पड़ते है अगली अनुसंधान यात्रा पर।

नाटक में कलाकारों के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। दर्शक टकटकी लगाए  बैठे रहे । यह कहना गलत नहीं होगा कि नीमच की जनता ने वर्षों बाद इतना सुंदर अभिनय देखा । दास्तान थियेटर ग्रुप के कलाकार, निदेशक और संस्था कृति इस प्रस्तुति के लिए बधाई के पात्र हैं । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी भारत जारोली और जिला पंचायत सदस्य तरुण बाहेती थे ।

कार्यक्रम के अंत मे संस्था द्वारा कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए । दो दिवसीय सफल कृति उत्सव के आयोजन में संस्था अध्यक्ष बाबूलाल गौड़ , उपाध्यक्ष कमलेश जायसवाल, सहसचिव शरद पाटीदार, सचिव महेंद्र त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष राजेश जायसवाल, कार्यक्रम संयोजक सत्येन्द्रसिंह राठौर, जीवन कौशिक, योगेश  पाटीदार, भरत जाजू, घनश्याम अम्ब, अक्षय पुरोहित, किशोर जेवरिया, प्रकाश भट्ट, सत्येंद्र सक्सेना व नीरज पोरवाल आदि का महत्वपूर्ण  सहयोग रहा। दो दिवसीय कार्यक्रम का सफल और सुंदर संचालन मंजुला धीर ने किया।

कृति का यह प्रतिष्ठा पूर्ण आयोजन कृति उत्सव के इतिहास में अच्छे आयोजन के लिए जाना जाएगा । दूसरे दिन उपस्थित दर्शकों अजय भटनागर, डॉ आशीष जोशी, डॉ आशीष सोनी, एडवोकेट दिनेश शर्मा, गुणवंत ऐरन, कैलाश शर्मा, गजेंद्र शर्मा और ज्योति जोशी आदि दर्शकों ने नाटक के प्रस्तुतिकरण और अभिनय की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

दास्तान ग्रुप के निदेशक अयाज खान नीमच की जनता के स्नेह से अभिभूत थे । इस नाट्य ग्रुप में अयाज खान के साथ उनकी धर्मपत्नी अभिनय के साथ मंचन में सहयोगी की भूमिका में रहती है। उनके ग्रुप की नीमच में यह चौथी प्रस्तुति थी। उन्होंने कहा कि वे नीमच आने के लिए हमेशा लालायित रहते है। यहां आकर उन्हें लगता है वे अपने परिवार के बीच मे आ गए हैं  । 

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