मोदी ट्रम्प मुलाकात
व्यवहार अपनी जगह और व्यापार अपनी जगह
जय वीरू सी दोस्ती सही पर धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं
त्वरित टिप्पणी
अब वह क्षण भी आ गया,जिसका खास तौर से भारत के लोगों को बेसब्री से इंतजार था। इंतजार था नरेंद्र मोदी के समर्थकों को भी और विशेष तौर से उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदीयों को भी।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर पूरे विश्व के साथ भारत के सभी लोगों की पैनी नजर थी।बस कही से कुछ मिल जाता तो आलोचक तैयार थे आलोचनाओं की फेहरिस्त लेकर और समर्थक तो वैसे भी अपने लीडर की शान में इजाफा होने का लुत्फ उठाने को तैयार बैठे थे।
मुलाकात के मायने कुछ भी निकाले जाए ,पर यह बात तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद को बढ़ाती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पद ग्रहण करने के 1 महीने के अंदर ही जिन चार देश (इजराइल,जापान जॉर्डन और भारत) के सर्वे सर्वाओ से व्हाइट हाउस में मिले,उनमें से एक हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे।
हालांकि यह मुलाकात पूरे 5 वर्षों बाद हुई,जिसमें मोदी जी तो जोशीले दिखे, पर ट्रंप की गर्मजोशी में कमी सी दिख रही थी,उम्र का असर हो या और कुछ कारण रहा हो डोनाल्ड ट्रंप वैसे जोशीले नजर नहीं आए,जैसे अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान दिखाई देते थे।इस दौर में उन्हें ज्यादा गंभीर रूप में देखा गया और एक अच्छे नेगोशिएटर के रूप में भी।
हालांकि ट्रंप ने अपने दिए उदबोधन में मोदी को एक अच्छा नेगोशिएटर बताकर उनकी तारीफों के पुल जरूर बांधे,पर उनसे मिलने से 2 घंटे पहले ही वे एक अच्छे कुटिल राजनेता नहीं अपितु कुशल कुटिल व्यापारी के रूप में अपने इरादे जाहिर कर चुके थे,सभी देशों पर पारस्परिक टैरिफ की घोषणा करके,जिनमें भारत भी शामिल था।
शायद उन्होंने अंदाजा लगा लिया हो कि कही मोदी उनसे इस मुद्दे पर कुछ रियायत की मांग न कर बैठे उससे पहले ही उन्होंने अपनी स्पष्ट मंशा जाहिर कर अपनी व्यापारवादी नीति का ऐलान कर दिया। ट्रंप ने अपने दिए बयान में बताया कि भारत में अमेरिकी वस्तुओं पर अधिकतम टैरिफ लगता है और हमें भी वैसा टैरिफ लगाने का अधिकार है,जानकारी के लिए बता दे कि भारत में अमेरिकी वस्तुओं पर अधिकतम टैरिफ 70% और औसत टैरिफ 14% लगता है। पारस्परिक टैरिफ की घोषणा करके ट्रंप भारतीय वस्तुओं पर भी इतना ही टैरिफ लगाने का मन बना चुके है और इसका असर अगले कुछ दिनों में दिखने भी लगेगा।
हालांकि इस मुद्दे के अलावा वो दूसरे मुद्दों पर भारत के पक्ष में भी दिखे,मोदी से मिलते ही #we_missed_you_we_missed_u_alot" बोलकर सभी भारतीयों का दिल भी जीतने की कोशिश की।उसके पहले अमेरिका पहुंचने पर मोदी का रेड कार्पेट पर गर्मजोशी से स्वागत और सत्कार भारत के बढ़ते प्रभाव को दिखा रहा था।
इसके अलावा भी कुछ फैसले भारत के पक्ष में करके उन्होंने अपनी दोस्ती की मिसाल देने की कोशिश भी की।जैसे आतंकवादी तहव्वुर राणा का भारत को प्रत्यर्पण का फैसला, जो कि वर्ष 2008 के 26/11 हमले की साजिश में शामिल होने की वजह से भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में शामिल था।इसके अलावा अमेरिका का सबसे बेहतरीन 5 th जनरेशन का #F15 फाइटर प्लेन देने की घोषणा कर भारत के रक्षा बजट का काफी बड़ा हिस्सा अपने खजाने में बढ़ाने की तैयारी कर ली।
हालांकि प्रत्यर्पण पूरे 16 साल बाद हो रहा है अमेरिका ने 2009 में तहव्वुर राणा को अपनी हिरासत में ले लिया था और अब जब उसे भारत को दिया जा रहा है तब उसका कोई खास औचित्य नहीं है अगर उसे उसी समय प्रत्यर्पित किया जाता तो अजमल कसाब की तरह अंतराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी संगठनों को श्रेय देने के ठोस सबूत के रूप में पेश किया जा सकता था,हालांकि अभी भी ऐसा किया जाएगा पर उसका प्रभाव इतना नहीं होगा।अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर भी उन्होंने किसी तरह की कोई बात नहीं की उसे एक सामान्य प्रक्रिया की तरह ही लिया।
ट्रंप ने अपनी मीडिया के सामने मोदी को बेहतरीन नेगोशिएटर बता दिया पर इस मामले में भी वो आगे निकले,अपने F15 फाइटर जेट देने की घोषणा कर उन्होंने अपना तगड़ा मुनाफा सुरक्षित कर लिया। हो सकता है एलन मस्क से मुलाकात भी उनकी किसी व्यापारिक नीति का हिस्सा हो।हो सकता है टैरिफ में छूट के बदले में टेस्ला को भारत में इंट्री की इजाजत मिल जाए।
इसके साथ ही उन्होंने ये भी जाहिर कर दिया कि मोदी जी हम अच्छे दोस्त है और रहेंगे बिल्कुल जयवीरू की तरह,पर व्यवहार अपनी जगह और व्यापार अपनी जगह...कुल मिलकर ट्रंप ने मोदी जी को संदेश दे दिया कि धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं।