नीमच। आचार्य सम्राट श्री डॉ शिव मुनि जी महाराज साहब के आज्ञा अनुवर्ती प्रज्ञा महर्षि आगम ज्ञाता नव तत्व विशेषज्ञ उदय मुनि जी महाराज साहब का संथारा सहित देवलोक गमन 8 फरवरी को हो गया। उनके निधन के उपरांत सीएसवी अग्रोहा भवन में 13 फरवरी गुरुवार सुबह 10 बजे गुणानुवाद श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ भाजपा नेता संतोष चोपड़ा ने कहा कि मेवाड़ की धरा बड़ी सादड़ी में उन्होंने जन्म लिया और मालवा की लाल माटी को कर्म भुमि बनाया। उनके न्याय और धर्म शास्त्रों के ज्ञान की खुशबू पूरे देश में फैली थी। हजारों विद्यार्थियों को निस्वार्थ भाव से ज्ञान प्रदान किया था जो आज भी अविस्मरणीय है। पूरे देश के विद्यार्थी यहां पढ़ने आते थे। वह परीक्षा से तीन-चार दिन पूर्व प्रतिदिन 4 से 6 घंटे तक न्याय विषय को पढ़ाते थे और उनसे पढ़ने के बाद हर विद्यार्थी परीक्षा में सफल होता था। पूरा परिवार उनके बताएं मार्ग पर चल रहा है। यह सभी के लिए आदर्श प्रेरणादाई कदम है। वरिष्ठ समाजसेवी मनोहर सिंह लोढ़ा ने कहा कि गौ माता न्याय ग्रंथ जैसे अनेक जीव दया का जो आर्दश कार्य उन्होंने किया जो आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणादाई संदेश है। उन्होंने 12 वर्ष तक विधि महाविद्यालय में पढ़ाया उनके चातुर्मास में वे त्याग के महत्वपूर्ण तथ्य को बताते थे। उन्होंने गौशाला और गौ रक्षा कानून के लिए अनेक प्रयास किए। गो कत्ल खानों को हटाने के लिए नीमच से सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया जो पूरे देश में चला। उन्होंने 22 वर्ष का संयम जीवन पालन किया। उनके पुत्र भारत जारौली भी कॉलोनी बनाकर मजदूरों को रोजगार देने का कार्य कर रहे हैं। राजेंद्र जारोली नेत्रदान अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं तो संगीता जारोली महिला पीड़ित मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ महिलाओं को रोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के सेवा कार्यों के सेवा प्रकल्प में अग्रणी है। वरिष्ठ एडवोकेट मुकेश भटनागर ने कहा कि उदय मुनि जी विधि के ज्ञाता थे उनका इस क्षेत्र में कोई सानी नहीं था। परीक्षा के पूर्व उनका अध्यापन कार्य इतना महत्वपूर्ण होता था कि जो उनसे शिक्षा ग्रहण कर लेता था वह जीवन में कभी असफल नहीं होता था और इस अवसर पर समाज सेवी किशोर जवेरिया ने कहा कि विद्यार्थियों के परेशानी में समय-समय पर सभी प्रकार से सहयोग करते थे वे सभी को समान रूप से शिक्षा प्रदान करते थे। उनके पढ़ाये कई लोग आज जज व वकील जैसे ऊंचे पदों पर कार्यरत है।
वरिष्ठ साहित्यकार कवि प्रमोद रामावत ने कहा कि व्यक्ति का व्यक्तित्व में बदल जाना ऐसे ही व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि दी जाती है। उदय मुनि जी महाराज साहब से विधि महाविद्यालय में अध्ययन करने का अवसर मिला था जिसका मुझे जिंदगी भर गर्व रहेगा। उन्होंने संसार की सुख सुविधाओं का त्याग कर सन्यास में प्रवेश किया था और दुनिया को पीछे छोड़ दिया था और वह मोक्ष की यात्रा की ओर आगे बढ़ निकले थे ।यही मृत्यु जीवन का सच है। दीक्षा के लिए परिवार के साहस और निर्णय साधुवाद का पात्र है। उदय मुनि जी एक महान तपस्वी आत्मा थे जिनसे प्रेरणा लेकर हम भी मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
राहुल जैन ने कहा कि उन्होंने समाचार पत्र नई दुनिया के लिए जीव दया गोवंश विधि शिक्षा न्याय प्रणाली के ऊपर अनेक लेख लिखे थे। वह करुणा के निदान थे। उन्होंने गौ रक्षा के न्याय की लड़ाई उन्होंने लड़ी थी। उनका संथारा मोक्ष प्रेरणादाई है ।वरिष्ठ पत्रकार संपादक राजेश मानव ने कहा कि न्याय धर्म और जीवन से मोक्ष की यात्रा के बारे में उन्होंने जनता से विचार प्रस्तुत किए थे जो आज भी आदर्श प्रेरणादायक कदम है।वरिष्ठ समाज सेवी अजय भटनागर ने कहा कि और उदय मुनि जी महाराज साहब सभी को सरल हृदय समान दृष्टि से मार्गदर्शन प्रदान करते थे। उन्होंने दीक्षा गृहण करने से पूर्व ही साधु जीवन जीना व्यतीत कर दिया था।प्रोफेसर डॉक्टर श्रीमती बीना चौधरी ने कहा कि उदय मुनि जी एक महान आत्मा का परिचायक थे। दीक्षा के पहले ही स्वयं सिद्ध हो चुके थे । वे कठिन साधना और तपस्या की और प्रवत हुए थे ।उनकी रचनाओं में प्रभाव और गहन तत्व का ज्ञान था।वे संदेश संप्रेषण कला के अद्भुत रचनाकार थे। सेवानिवृत्त विधि महाविद्यालय के प्राचार्य अख्तर अली शाह ने कहा कि उदय मुनि जी महाराज तत्व ज्ञान के जिज्ञासु थे। उन्होंने 65 वर्ष की आयु में संन्यास लेकर दीक्षा ग्रहण की थी उनके इस घटना से यह प्रेरणा मिलती है कि अच्छे कार्य के लिए आयु बाधा नहीं होती है। न्याय और धर्म को साथ-साथ समझते हुए उन्होंने अनेक ग्रंथ और रचनाएं लिखि और संसार को जीव दया के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया था। कानून की नींव क्या है पुस्तकों के लेखन में उन्होंने बताया था। सत्संग में समय देना अच्छी बात है यह भी उनकी पुस्तकों में परिलक्षित होता था। जीवन किस तरह जीना चाहिए यह उनके परिवार को जाने माने तो हमें समझ आएगा। मानव जन्म का उद्देश्य जनकल्याण प्रमुख होना चाहिए यही उनका संदेश था। दुनिया के दुख कैसे दूर हो सद्गुरु के रूप में उन्होंने मार्गदर्शन प्रदान किया था। श्री कृष्ण ने शास्त्र के साथ शस्त्र भी चलाया था। आत्मा में किसी भी प्रकार का दुर्गुण नहीं आये।
उनकी सांसारिक धर्मपत्नी स्मृति रेखा जारौली ने भी अपने जीवन के अनुभव सुनाते हुए धर्मअध्यात्म के दीपक पर प्रकाश डाला।
जैन दिवाकर संगठन की पदाधिकारी प्रतिभा मांदरेचा ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।इस अवसर पर धर्म गुणानुवाद सभा में वर्धमान स्थानकवासी जैन समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल पितलिया, अखिल भारतीय जैन श्वेतांबर स्थानक जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय पदाधिकारी मनोहर शंभू बम, श्री वर्धमान जैन स्थानक वासी दिवाकर के अध्यक्ष महेंद्र बम, अखिल भारतीय दिवाकर मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील लाला बम, भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीमती वंदना खंडेलवाल, ज्ञानोदय महाविद्यालय की चेयरपर्सन श्रीमती माधुरी चौरसिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौरसिया,
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश पप्पू जैन, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बृजेश सक्सेना, पूर्व कृषि उपज मंडी अध्यक्ष उमराव सिंह गुर्जर, कृति अध्यक्ष बाबूलाल गौड़, गौ सेवक एड. प्रवीण मित्तल , अखिल भारतीय जायसवाल सर्व वर्गीय महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अर्जुन सिंह जायसवाल,सोहनलाल छाजेड़ एवं दिल्ली जयपुर, मुंबई, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, मंदसौर, प्रतापगढ़ , कानोड़, भिंडर सिंगोली मेवाड़ मालवा अंचल में न्याय क्षेत्र एवं शिक्षा जगत राजनीति एवं धार्मिक संगठनों से जुड़े बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर पांच बार नवकार मंत्र का जाप सामूहिक रूप से करने के साथ ही 5 मिनट का मोन रखकर उदय मुनि जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। धर्म गुणानुवाद सभा का संचालन दिगंबर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष जम्मू कुमार जैन ने किया तथा आभार भारत जारोली एवं राजेंद्र जारोली ने संयुक्त रुप से व्यक्त किया।