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9 दिवस पूर्व दुर्घटना में घायल वृद्ध की मौत, अब तक पुलिस के हाथ लगा फरार चालक का नाम और वाहन मालिक का मोबाईल नंबर

जिला चिकित्सालय के रेफरल सिस्टम की समीक्षा की जरूरत: मेडिकल कॉलेज, ट्रॉमा सेंटर और जिला चिकित्सालय के बावजूद नीमच के ही निजी चिकित्सालयों में रेफर किए जा रहे मरीज

कपिल सिंह चौहान 04 April, 2025 अपराध

जिला चिकित्सालय के रेफरल सिस्टम की समीक्षा की जरूरत। मेडिकल कॉलेज, ट्रॉमा सेंटर और जिला चिकित्सालय के बावजूद नीमच के ही निजी चिकित्सालयों में रेफर किए जा रहे मरीज।

नीमच।(कपिल सिंह चौहान) बीते दिनों दुर्घटना में हाईड्रा क्रेन से 40 फुट तक घसीटे जाने वाले साईकल चालक वृद्ध की 9 दिन बाद दु:खद मृत्यु हो गई। 9 दिन से ड्रायवर दिलीप टेलर फरार है। क्रेन का मालिक यशवंत सिंह राजपूत है। बस इतनी ही जानकारी 9 दिन में पुलिस के पास है। इतनी जानकारी वाहन पर लिखे मोबाईल नंबर से आमजन को है जितनी पुलिस के पास है। वाहन अभी भी दुर्घटना स्थल के पास स्थित फैक्ट्री परिसर में है, बघाना पुलिस के अनुसार वाहन को जब्ती में लिया गया है।

अपराध व दुर्घटनाओं में घायल या मृत व्यक्तियों के मामलों में संवेदनशीलता से कार्यवाही की उम्मीद परिजन को रहती है। मगर नानुराम पिता उदयराम धनगर, उम्र 60 वर्ष, निवासी ग्राम झांझरवाड़ा के परिजन पुलिस की कारवाई से संतुष्ट नहीं हैं। 9 दिन पूर्व दिनांक 26 मार्च को नानुराम धनगर को पीछे से हाईड्रा क्रेन मशीन ने टक्कर मार दी थी। आज निजी चिकित्सालय में उपचार के दौरान नानुराम धनगर की मृत्यु हो गई। 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क्रैन से टक्कर के बाद मृतक नानुराम का पैर टायर और मशीन के बीच फंस गया था। लापरवाह चालक ने उन्हे कई फीट दूर तक घसीटा। दुर्घटना के बाद चालक फरार हो गया। एक पूर्व सैनिक सुनील किलोरिया ने वृद्ध को संभाला। सूचना पर पहुंची एम्बुलेंस ने घायल नानुराम को जिला चिकित्सालय पहुंचाया था। स्थिती गंभीर होने की वजह से उन्हे नीमच के ही निजी चिकित्सालय में रेफर कर दिया गया। जहां आज सुबह 7 बजे वृद्ध नानुराम ने दम तौड़ दिया।

मेडिकल कॉलेज और ट्रॉमा सेंटर फिसड्डी, जिम्मेदारों की नजर में नीमच के निजी चिकित्सालय सक्षम   

नीमच जिला चिकित्सालय जहां ट्रॉमा सेंटर भी है और अब नीमच में मेडिकल कॉलेज की सुविधा भी है। उसके बावजूद बुजुर्ग नानुराम की गंभीर हालत को देखते हुए नीमच के ही स्थानीय अन्य निजी चिकित्सालय में उन्हे रेफर किया गया। जिसके मायने तो यही निकलते हैं की नीमच के मेडिकल कॉलेज, ट्रॉमा सेंटर और जिला चिकित्सालय से ज्यादा सुविधाजनक, विशेषज्ञ और सक्षम है नीमच के निजी चिकित्सालय और वहाँ के चिकित्सक। पहले मरीज की हालत गंभीर होने पर निकटस्थ बड़े शहरों में रेफर किया जाता था। ऐसे में जिला चिकित्सालय के रेफरल सिस्टम की समीक्षा की जाना भी आवश्यक है की किस आधार पर उन्हे नीमच के ही स्थानीय चिकित्सालयों में रेफर किया जा रहा है ! 

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