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नीमच। जिले का पुराना चर्चित बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर केस फिर से सुर्खियों में है। 16 साल पुराने इस मामले मे सीबीआई की टीम ने पन्ना एसडीओपी ग्लेडविन एडवर्ड कार (तत्कालीन थाना प्रभारी रामपुरा) और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ़्तारी की खबर मिलते ही मध्यप्रदेश पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मामले में कुछ और आरोपी है जो फरार बताए जा रहे है ।
डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान पर तस्कर बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मारने का झूठा दावा करने का आरोप है। डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान ने 2009 में एनकाउंटर में तस्कर बंशी की मौत का दावा किया पर जब वह 2012 में उज्जैन के दानीगेट से जिंदा पकड़ा गया तो उनके सारे दावों की पोल खुल गई।
इसी एनकाउंटर केस की सीबीआई तभी से जांच कर रही थी। यह जांच हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही थी और यह आदेश नीमच के ही पत्रकार मूलचंद खिची की जनहित याचिका पर आया था। इसी जांच में तथ्य सामने आने के बाद डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया गया। ग्लैडविन इस समय पन्ना के गुनौर के एसडीओपी हैं। नीमच में पदस्थ रहे नीरज प्रधान का एक माह पहले ही उज्जैन ट्रांसफर किया गया हालांकि उन्होंने ज्वाइन नहीं किया।
हाईकोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई दिल्ली की क्राइम यूनिट-1 मामले की जांच कर रही है। मंगलवार को तीन घंटे की पूछताछ के बाद डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए गए हैं। जांच अधिकारी ने डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को बयान के लिए बुलाया था।
एनकाउंटर का किया झूठा दावा
बंशी गुर्जर नीमच की मनासा तहसील के नलवा का कुख्यात तस्कर है। उसने 4 फरवरी 2009 को राजस्थान पुलिस से अपने साथी रतनलाल मीणा को छुड़ाया था। 7 फरवरी 2009 को नीमच पुलिस ने उसके एनकाउंटर का दावा किया। डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान एनकाउंटर टीम के अहम सदस्य थे। बाद में 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन पुलिस ने उसे पकड़ा। इसके बाद उज्जैन के गोवर्धन पंड्या ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने निर्दोष को मारने की साजिश रची थी।
सीबीआई ने इस मामले मे एक एएसपी और अन्य पुलिसकर्मियों को भी नोटिस भेजा था।जबकि एएसपी ने बयान देने कि बजाए छुट्टी ले ली।
पत्नी के गर्भवती होने पर बंशी के जीवित होने की बात सामने आई
वर्ष 2009 में रामपुरा के बेसला घाट पर बंशी का फर्जी एनकाउंटर किया गया था। आइजी स्क्वायड उज्जैन टीम ने 20 नवंबर 2012 बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ा था। घटना के 16 साल बाद भी न तो सीआईडी और न ही सीबीआई एनकाउंटर में मारे गए व्यक्ति का पता नहीं लगा पाई।
कुख्यात तस्कर बंशी पिता रामलाल गुर्जर के जीवित होने की बात तब सामने आई जब उसकी पत्नी गर्भवती हुई, यह चर्चा जोरों पर चलने पर वर्ष 2012 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक टी अमोंगला अय्यर ने एनकाउंटर की फाइल पुन: खुलवाई थी। मामले तब सुर्खियों में आया जब उज्जैन आईजी की स्क्वायड टीम ने बंशी को जीवित पकड़ लिया था। इसके बाद प्रकरण सीआईडी को सौंप दिया गया था।
सीआईडी ने भी फर्जी एनकाउंटर की जांच की, लेकिन वह भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाई । इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंपी गई।
केन्द्रीय गृहमंत्री के नीमच दौरे से पहले अचानक सीबीआई हरकत मे आई और सीबीआई ने 16 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में सक्रियता दिखाते हुए तत्कालीन रामपुरा थाना प्रभारी और वर्तमान गुनौर (पन्ना) एसडीओपी ग्लेडविन कार तथा एनकाउंटर के समय आरक्षक (वर्तमान में भी नीमच में प्रधान आरक्षक) नीरज प्रधान को पूछताछ के लिए इंदौर बुलाया था। करीब 3 घंटे तक चली पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। फर्जी एनकाउंटर में शामिल एक-दो पुलिस अधिकारियों से भी सीबीआई पूछताछ करेगी।
जैसे ही यह खबर नीमच जिले में आई सभी हतप्रभ रह गए। इतने पुराने मामले में पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया कि कानून से ऊपर कोई नहीं।अपराधी चाहे कोई भी हो,उसे समय आने पर अंजाम भुगतान ही पड़ता है।